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Shri Bankey Bihari Ji Ki Jai !!

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!! माई री सहज जोरी प्रगट भई जु रंग की गौर-स्याम घन-दामिनि जैसे !!
!! प्रथमहू हुती अबहूँ आगै हूँ रहि न टरिहैं तैसें अंग अंग की उजराई सुघराई चतुराई सुंदरता ऐसे !!
!! श्रीहरिदास के स्वामी स्यामा कुंजबिहारी समवैस वैसें !!